शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

मुक्तक





ख़यालों  में  बो मेरे आते भी हैं
रातो को नीदें   चुराते   भी हैं 
कहतें नहीं राज दिल का  बह  हमसे  
चोरी से    नजरे  मिलातें  भी हैं


मुक्तक प्रस्तुति :   
मदन मोहन सक्सेना

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