सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

















एक और आतंकी धमाका
जगह बदली किन्तु 
तरीका नहीं बदला 
बदला लेने का 
एक बार फिर धमाका 
कई मासूम लोगों की मौत 
कई लोगों ने महसूस की अपनों को खोने की टीस 
मीडिया में फिर से शोर 
नेताओं को घटना स्थल पहुचनें की बेकरारी 
सुरक्षा एजेंसियों की एक और जांच पड़ताल
राजनेताओं में एक और हड़कंप,
आम लोगों को अपने बजूद की  चिंता  
सुरक्षा एजेंसियों को अपने साख बचाने की चिंता 
जगह जगह छापे 
और फिर 
यदि कोई सूत्र मिला भी 
और आंतकी  हत्थे लगा भी  तो 
फिर से बही क़ानूनी पेचीदगियाँ 
फिर से 
कोर्ट दर कोर्ट का सफ़र 
और  यदि सजा हो भी गयी  
फिर से रहम की गुजारिश 
फिर से दलगत और प्रान्त की  राजनीति 
और फिर से 
बही पुनराब्रती 
सच में कितना अजीब  लगता है जब आंतकी 
और  मानब अधिकारबादी  मौत की सजा माफ़ करने की बात करतें है 
उनके लिए (आंतकी )
जिसने मानब को कभी मानब समझा ही नहीं .

प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना 


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