सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

मुश्किल समय




  














मुश्किल समय :



उसे हम दोस्त क्या मानें  दिखे मुश्किल में मुश्किल से
मुसीबत में भी अपना हो उसी को दोस्त मानेगें

जो दिल को तोड़ ही डाले उसे हम प्यार क्या जानें
दिल से दिल मिलाये जो उसी को प्यार जानेंगें



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बाप बेटा  माँ या बेटी  स्वार्थ के रिश्ते सभी से
उम्र के अंतिम सफ़र में अपना नहीं कोई दोस्तों

स्वप्न थे सबके दिलों में अपना प्यार हो परिबार हो
स्वार्थ लिप्सा देखकर अब सपना नहीं कोई दोस्तों


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अपने  और गैरों में फर्क करना नहीं यारों
मर्जी क्या खुदा की हो अपने कौन हो जाएँ

जिसे पाला जिसे पोषा अगर बन जायें बह कातिल
हंसी जीवन गुजरने के  सपनें मौन हो जाएँ


प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना

2 टिप्‍पणियां:

  1. बाप बेटा माँ या बेटी स्वार्थ के रिश्ते सभी से
    उम्र के अंतिम सफ़र में अपना नहीं कोई दोस्तों...
    Sach kaha. Hai ... Antim safar to akele hi karna hota hai ...
    Lajawab sher hain ...

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