सोमवार, 18 मई 2015

अरूणा शानबाग ( कोमा में सम्बेदना )





अरूणा शानबाग
केईएम अस्पताल में जूनियर नर्स के तौर पर काम करती थी
27 नवंबर 1973 को वार्ड ब्वॉय ने अरूणा पर यौन हमला किया
और कुत्ते के गले में बांधने वाली चेन से 
अरूणा का गला घोंटने की कोशिश की 
जिससे अरूणा के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई
 हमले के बाद से अरूणा निष्क्रिय अवस्था में आ गई.
अरूणा
ने आज मुंबई में अंतिम साँस ली
अरुणा ही नहीं
 बल्कि हमारी संवेदना 42 साल कोमा में रही
पिछले 42 वर्षों से हमारे समाज के सामने वह एक सवाल के रूप में थी.
वह जिस पीड़ा से गुजरी
उसे बयां तो कभी नहीं कर पाई
लेकिन उसके आसपास मौजूद लोगों ने खूब महसूस किया और कसमसाए
दर्द दूर करने के लिए
कोर्ट से मदद मांगी गई, लेकिन राहत नहीं मिली
और अरुणा की पीड़ा से मुंह मोड़े
हमारा सिस्टम भी वहीं कोमा में पड़ा रहा
आज फिर बही सबाल
उत्तर  खोज रहे है
कि 
जब हमला करने बाला सात साल की सजा पूरी कर
बाहर की दुनिया में जी रहा है
तो फिर पीड़ित किस की सजा भुगत रही है
आज भी हमारा  सिस्टम
ऐसी घटनाओं से सबक क्यों नहीं लेता
और कोमा में पड़ा रहता है।





10 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ४२ साल की क़ैद से रिहाई - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. श्रद्धाँजलि अरुणा ।
    और सिस्टम के लिये भी ।

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  3. न तो हमारा तथाकथित सिस्टम कोमा से बाहर आता है न ही इसे अरुणा जी की भाँति मुक्ति मिलती है।

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  4. सिस्टिम सचमुच कोमा में है। सारासार विचार शक्ति खो चुका है।

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  5. सिस्टम की खुद कोमा जैसे स्थिति रहती हैं। . बिडम्बना है।

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  6. सिस्टम की खुद कोमा जैसे स्थिति रहती हैं। . बिडम्बना है।

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  7. पच्चीस साल की चैतन्य युवती ,
    जिस कोमा से कभी नहीं जागी
    कभी नहीं जागी ,
    बन गई विद्रूप ,
    ढहता भग्नावशेष !
    बयालीस साल तिल-तल मरने की
    त्रासदी पर तरस खानेवालों ,
    लाचार ,देखते रहने के सिवा ,
    और क्या कर सकते हो तुम ?

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  8. संवेदनाएँ जागी हुईं हैं , मगर हेल्प लेस हैं ...

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